भगवान विष्णु के एक अवतार माने जाने वाले राम, व्यापक रूप से पूजे जाने वाले हिंदू देवता हैं।
प्राचीन भारतीय महाकाव्य, रामायण के अनुसार, राम का जन्म अयोध्या में हुआ था।
रामायण में कहा गया है कि भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में सरयू नदी के तट पर थी।
कई इतिहासकारों का मानना है, कि साल 1528 मे राम मंदिर को प्रथम मुगल शासक बाबर ने ध्वस्त कर दिया था,
इसके बाद उन्होंने उस ध्वस्त मंदिर पर एक मस्जिद का निर्माण कराया।
लेकिन साल 1611 में, एक अंग्रेजी यात्री विलियम फिंच ने अयोध्या का दौरा किया और "रामचंद्र महल और घरों के खंडहर" को रिकॉर्ड किया।
उन्होंने मस्जिद का कोई उल्लेख नहीं किया।
साल 1634 में भी, थॉमस हर्बर्ट ने "रामचंद के बहुत पुराने महल" का वर्णन किया, जिसे उन्होंने एक प्राचीन स्मारक के रूप में वर्णित किया
साल 1717 में, आमेर राज्य के शासक महाराजा जय सिंह ने साइट के आसपास की जमीन खरीदी और उनके दस्तावेजों में एक मस्जिद दिखाई दी।
साल 1766-1771, के बीच साइट का दौरा करने वाले सोसाइटी ऑफ़ जीसस के सदस्य जोसेफ टाइफेंथलर ने लिखा कि मुगल शासक बाबर ने हिंदुओं द्वारा राम के जन्मस्थान माने जाने वाले घर सहित रामकोट किले को ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने आगे कहा कि इसके स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया था
साल 1810 में, फ्रांसिस बुकानन ने इस स्थल का दौरा किया और कहा कि नष्ट की गई संरचना एक मस्जिद नहीं बल्कि राम को समर्पित मंदिर था। बाद के कई स्रोतों में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था
लेकिन साल 1853 में, इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी।
असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं।
हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं।
यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट के. नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई।
सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।
साल 1949, फैजाबाद सिविल न्यायालय में दो अर्जी दाखिल की गई।
इसमें एक में राम लला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई।
साल 1986, न्यायालयने हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।
बाद में, साल 1992 को कुछ हिंदू कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया, जिसक कारण मुस्लिम और हिंदू मे कई दंगे हुए , और यह विवाद भारत के सबसे घातक संघर्षो मे से एक बन गया।
साल 2010 को, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि को हिंदू, मुस्लिम, और निर्मोही अखाड़े के बीच तीन भागों में विभाजित किया जाना चाहिए।
साल 2011 से साल 2018, तक न्यायालय अपने फेसले सुनाते रहे पर कोई समाधान नही हुआ, मंदिर या मस्जिद बन ने की इस लड़ाई मे हिंदू और मुस्लिमो की मुठ भेड़ बरकरार रही।
फिर 16 अक्टूबर 2019, सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद यह विवादित भूमि एक ट्रस्ट को सौंप दिया गया था। और अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया और केंद्र को मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ का भूखंड आवंटित करने का निर्देश दिया।
5 फरवरी 2020, आदेश दिया कि अयोध्या में "उपयुक्त" और "प्रमुख" स्थान में भूमि का एक वैकल्पिक टुकड़ा मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए दिया जाना चाहिए। न्यायालय ने सरकार को तीन महीने के भीतर एक योजना तैयार करने और एक ट्रस्ट स्थापित करने के लिए कहा, जो अयोध्या में एक मंदिर का निर्माण करेगा।
*अब अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम शुरू हो गया है। पीएम मोदी 5 अगस्त को मंदिर निर्माण का शुभारंभ करने आ रहे हैं। पीएम के आगमन पर पूरी अयोध्या को दुलहन की तरह सजाया जा रहा है।
*3 अगस्त से कार्यक्रमों का दौर शुरू हो जाएगा। भूमि पूजन के लिए तैयारियां लगभग पूरी होने को है। 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन की गूंज देश-दुनिया तक पहुंचने वाली है। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में लगे बिलबोर्ड पर भगवान राम और भव्य राम मंदिर के थ्रीडी फोटो दिखाए जाएंगे।
*सूत्रो से पता चला है की भक्तों के लिए वॉटरप्रूफ पंडाल लगाया जाएगा।
*भक्तों के लिए प्रसाद मे 1 लाख 11 हजार देसी घी के लड्डू भी बनाए जाएँगे।
*अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर के भूमि पूजन के अवसर पर न्यू यॉर्क के टाइम्स स्क्वेयर में विशाल बिलबोर्ड पर भव्य राम मंदिर के थ्रीडी कार्यक्रम प्रदर्शित किए जाएंगे।
*राम मंदिर के इतिहास से जुड़ी सभी ज़रूरत मंद जानकारियो को टाइम कॅप्सुल मे राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा।
*सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक हिंदी और अंग्रेजी में 'जय श्री राम' प्रदर्शित किया जाएगा।
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